Secondary School Certificate Examination (IX-X) Hindi B 2018-19

 

CBSE Curriculum for Secondary School Certificate Examination (IX-X) Hindi B 2018-19

द् तीय भाषा के रप में ह दी (कोड स.िं
कक्षा 9िीिं – 10िीिं
– 085)
भारत एक बहुभाषी देश है जिसमें बहुत सी क्षत्रे
ीय भाषाएँ रची बसी हैं। भाषषक और साांस्कृ तिकतक ष्ज स से
भभन्न होने के बाविूद भारतीय परांपरा में बहुत कु छ ऐसा है िो एक दसू
रे को िोड़ता है। यही कारण है
कक मातभृ
ाषा के रूप में अलग भाषा को पढ़ने वाला षवद्यार्थी िब दसू
री भाषा के रूप में हहदां
ी का चुनाव
करता है तो उसके पास अभभव्यजतत का एक ष्  आधार पहली भाषा के रूप में पहले से ही मौिूद होता
है। इसभलए छठी से आठवीां कक्षा में सीखी हुई हहदां
ी का षवकास भी वह तिी से करने लगता है। आठवीां
कक्षा तक वह हहदां
ी भाषा में सनु
ने, पढ़ने, भलखने और कु छ-कु छ बोलने का अभ्यास कर चुका होता है।
हहदां
ी की बाल पत्रत्रकाएँ और तिकछसपसु
रचनाएँ पढ़ना भी अब उसे आ गया है। इसभलए िब वह नवीां एवां
दसवीां कक्षा में हहदी पढ़ेगा तो िहाँ एक ओर हहदी भाषा के माध्यम से सारे देश से  िुड़गे
ा वहीां दसू री
ओर अपने क्षेत्र और पररवेश को हहदी भाषा के माध्यम से िानने की कोभशश भी करेगा, तयोंकक
ककशोरवय के इन बच्चों के मानभसक धरातल का षवकास षवश्व स्तर तक पहुँच चुका होता है।
शिक्षण उद्देश्य
·  दैतिकनक िीवन में हहदी में समझन-े बोलने के सार्थ-सार्थ भलखने की क्षमता का षवकास करना।
·   हहदी के ककशोर-साहहत्य, अखबार व पत्रत्रकाओां को पढकर समझ पाना और उसका आनदां
की क्षमता का षवकास करना।
उठाने
·   औपचाररक षवषयों और सदां
भो में बातचीत में भाग ले पाने की क्षमता का षवकास करना।
·    हहदी के िररए अपने अनभु
व ससां
ार को भलखकर सहि अभभव्यजतत कर पाने में सक्षम बनाना।
·   सचार के षवभभन्न माध्यमों (षरसां
की योग्यता का षवकास करना।
और इलेतरॉतिकनक) में रयतु
त हहदां
ी के षवभभन्न रूपों को समझने
·  कक्षा में बहुभाषषक, बहुसाांस्कृ तिकतक सदभों के रतिकत सवेदनशील सकारात्मक सोच बनाना।
·    अपनी मातभृ
शिक्षण यक्ु ततयााँ
ाषा और पररवशे
गत भाषा को सार्थ रखकर हहदां
ी की सरां चनाओां की समझ बनाना।
·    द्षवतीय भाषा के रूप में पढ़ाई िा रही हहदी भाषा का स्तर पढ़ने और पढ़ाने दोनों ही ष्ज सयों से
मातभृ
ाषा सीखने की तलु
ना में कु छ मर्थां
र गतिकत से चलेगा। वह गतिकत धीरे-धीरे बढ़ सके , इसके
भलए हहदी अध्यापकों को बड़े धीरि से अपने अध्यापन कायक्रमों को तिकनयोजित करना होगा।
ककसी भी द्षवतीय भाषा में तिकनपणु
ता राप्त करन-े कराने का एक ही उपाय है – उस भाषा का
लगातार रोचक अभ्यास करना-कराना। ये अभ्यास जितने अधधक रोचक, सकक्रय एवां रासधगक
होंगे षवद्याधर्थयय
ों की भाषषक उपलजधध भी उतनी ही तिे
ी से हो सके गी। मखु
र भाषषक अभ्यास के
भलए वातायलाप, रोचक कहानी  सनु
ना-सनु
ाना,  घसना-वणनय
,  धचत्र-वणनय
, सवाद, वाद-षववाद,
अभभनय, भाषण रतिकतयोधगताएँ, कषवता पाठ और अत्ां याक्षरी िैसी गतिकतषवधधयों का सहारा भलया  िा
सकता है।
·    मध्यकालीन काव्य की भाषा के ममय से षवद्यार्थी का पररचय कराने के भलए िरूरी होगा कक
ककताबों में आए काव्याांशों की सगीतबद् ध रस्ततिकु तयों के ऑडियो-वीडियो कै सेस तयै
ार ककए िाएँ।
अगर आसानी से कोई गायक/गातिकयका भमले तो कक्षा में मध्यकालीन साहहत्य के अध्यापन-भशक्षण
में उससे मदद ली िानी चाहहए।
·   वत्ृ तधचत्रों और भसनेमा को भशक्षण-सामग्री के तौर पर इस्तमाल करने की िरूरत है। इनके रदशनय
के क्रम में इन पर लगातार बातचीत के िररए भसनेमा के माध्यम से भाषा के रयोग की
षवभश सता की पहचान कराई िा सकती है और हहदी की अलग-अलग छसा हदखाई िा सकती है।
·   कक्षा में भसर्य एक पाठ्यपस्ु
तक की भौतिकतक उपजस्र्थतिकत से बेहतर होगा कक भशक्षक के हार्थ में
तरह-तरह की पाठ्यसामग्री को षवद्यार्थी देखें और कक्षा में अलग-अलग मौकों पर भशक्षक उनका
इस्तमाल कर सकें ।
·   भाषा लगातार ग्रहण करने की कक्रया में बनती है, इसे रदभशतय
करने का एक तरीका यह भी है
कक भशक्षक खदु
यह भसखा सकें कक वे भी शधदकोश, साहहत्यकोश, सदां
भग्रय
र्थां
की लगातार मदद ले
रहे हैं। इससे षवद्याधर्थयय
ों में इनके इस्तमाल करने को लेकर तत्परता बढ़ेगी। अनमु
ान के आधार
पर तिकनकसतम अर्थय तक पहुँचकर सतां
 ु स होने की िगह वे अधधकतम अर्थय की खोि करने का अर्थय
समझ िाएँगे। इससे शधदों की अलग-अलग रांगत का पता चलेगा, वे शधदों के बारीक अतर के
रतिकत और सिग हो पाएँगे।
·   भभन्न क्षमता वाले षवद्याधर्थयय
ों के भलए उपयतु
त भशक्षण-सामग्री का इस्तमाल ककया िाए तर्था
ककसी भी रकार से उन्हें अन्य षवद्याधर्थयय
ों से कमतर या अलग न समझा िाए।
·   कक्षा में अध्यापन को हर रकार की षवभभन्नताओां (भलग, धम,य
िातिकत, वगय आहद) के  रतिकत
सकारात्मक और सवेदनशील वातावरण तिकनभमतय
करना चाहहए।
व्याकरण ब दिं ु
कक्षा 9िीिं
·   वण-य षवच्छे द, अनस्ु
वार, अननु
ाभसक, नतु
ता।
·    तरह-तरह के पाठों के सदभय में शधदों के अवलोकन द्वारा उपसग,य
·    वातय के स्तर पर षवराम धचह्नों का समधु चत रयोग।
कक्षा 10िीिं
सधां ध एवां रत्ययI
·    शधद, पद और पदबधां
में अतर।
·    रचना के आधार पर वातय रूपाांतर।
·   शधदों के अवलोकन द्वारा सामाभसक शधदों की पहचान और उनके अर्थय का अनमु
ान।
·    महु
ावरों और उनका रयोग।
·    वातय अशद्ु
धध शोधन।
श्रिण (सनु
ने) और िाचन ( ोलने) की योग्यताएाँ
·    रवाह के सार्थ बोली िाती हुई हहदी को अर्थबोध के सार्थ समझना। वातायओां या सवादों को
समझना।
·   हहदी शधदों का ठीक उच्चारण करना तर्था हहदां
ी के स्वाभाषवक अऩतु
ान का रयोग करना।
·    सामान्य षवषयों पर बातचीत करना और पररचचाय में भाग लेना।
·   हहदी कषवताओां को उधचत लय, आरोह-अवरोह और भाव के सार्थ पढ़ना।
·    सरल षवषयों पर कु छ तयै
ारी के सार्थ दो-चार भमनस का भाषण देना।
·    हहदी में स्वागत करना, पररचय और धन्यवाद देना।
·   हहदी अभभनय में भाग लेना।
श्रिण (सनु
ना) का परीक्षण : कु ल 2.5 अकिं
( ढाई अकिं  )
·   परीक्षक ककसी रासधां गक षवषय पर एक अनच्ु
छे द का स्प स वाचन करेगा। अनच्ु
छे द तथ्यात्मक या
सझु
ावात्मक हो सकता है। अनच्ु
या
छे द लगभग 150 शधदों का होना चाहहए।
परीक्षक 2-3 भमनस का श्रव्य अशां
(ऑडियो जतलप) सनु
वाएगा। अशां
रोचक होना चाहहए। कथ्य
/घसना पणू
य एवां स्प स होनी चाहहए। वाचक का उच्चारण शद्ु
ध, स्प स एवां षवराम धचह् नों के
उधचत रयोग सहहत होना चाहहए।
·   परीक्षक को सनु
सकें गे।
त-े सनु
ते परीक्षार्थी कागि पर हदए हुए श्रवण बोध के अभ्यासों को हल कर
·  अभ्यास ररतत स्र्थान पतिकू त,य
बहुषवकल्पी या सत्य/असत्य का चुनाव आहद षवधाओां में हो सकते हैं।
·  अतिकत लघत्ू तरात्मक 5 रश्न पछू
े िाएांग।े
िाचन ( ोलना) का परीक्षण : कु ल 2.5 अकिं
( ढाई अकिं  )
·   धचत्रों के क्रम पर आधाररत वणनय
भाषा का रयोग करें।
: इस भाग में अपेक्षा की िाएगी कक परीक्षार्थी षववरणात्मक
·  ककसी धचत्र का वणनय
(धचत्र व्यजतत या स्र्थान के हो सकते हैं)
· ककसी तिकनधायररत षवषय पर बोलना जिससे वह अपने व्यजततगत अनभु
व का रत्यास्मरण कर सके ।
·   पररचय देना। (स् / पररवार/ वातावरण/ वस्त/ु
व्यजतत/ पयायवरण/ कषव /लेखक आहद)      1 अकां
·    आधे-आधे अकां
के कु ल तीन रश्न पछू
ेिा सकते हैं।                      1.5 (िढ़े
अक)
कौिलों के अतिं
रण का मलू
यािंकन
श्रिण (सनु ना) िाचन( ोलना)
1 षवद्यार्थी में पररधचत सदां भों में रयतु त शधदों 1 षवद्यार्थी के वल अलग-अलग शधदों और पदों के
और पदों को समझने की सामान्य योग्यता है, रयोग की योग्यता रदभशतय  करता है ककां तु एक
ककां तु ससु बां द्ध आशय को नहीां समझ पाता। ससु बां द्ध स्तर पर नहीां बोल सकता।
2 छोसे ससु बां द्ध कर्थनों को पररधचत सदभों में 2 पररधचत सदभों में के वल छोसे ससु बां द् ध कर्थनों
समझने की योग्यता है। का सीभमत शद्ु धता से रयोग करता है।
3 पररधचत या अपररधचत दोनों सदभों में कधर्थत 3 अपेक्षक्षत दीघय भाषण में अधधक िहसल कर्थनों के
सचू ना को स्प स समझने की योग्यता है। रयोग की योग्यता रदभशतय  करता है अभी भी
अशद्ु धधयाँ करता है जिससे रेषण में रूकावस कु छ अशद्ु धधयाँ  करता  है।  जिससे  रेषण में
आती हैI रूकावस आती है।
4 दीघय कर्थनों की शखांृ ला को पयायप्त शद्ु धता से 4 अपररधचत जस्र्थतिकतयों में षवचारों को ताककय क ढांग
समझता है और तिकन कषय तिकनकाल सकता है। से सगां हठत कर धारा रवाह रूप में रस्ततु  कर
सकता है। ऐसी गलतिकतयाँ करता है जिनसे रेषण
में रूकावस नहीां आती।
5 िहसल कर्थनों के षवचार-त्रबदां ओु ां को समझने की 5 उद् देश्   और श्रोता के भलए उपयतु त शलै ी को
योग्यता रदभशतय  करता है, उद् देश्य के अनकु ू ल अपना सकता है के वल मामलू ी गलतिकतयाँ करता
सनु ने की कु शलता रदभशतय  करता है। है।
हिप्पणी
·   परीक्षण से पवू
य परीक्षार्थी को तयै
ारी के भलए कु छ समय हदया िाए।
·   षववरणात्मक भाषा में वतमय
ान काल का रयोग अपेक्षक्षत है।
·  तिकनधायररत षवषय परीक्षार्थी के अनभु
व ससार के हों, िैसे – कोई चुसकु ला या हास्य-रसगां
सनु
ाना,
हाल में पढ़ी पस्ु
तक या देखे गए भसनेमा की कहानी सनु
ाना।
·    िब परीक्षार्थी बोलना रारांभ करें तो परीक्षक कम से कम हस्तक्षेप करें।
पठन कौिल
पठन क्षमता का मख्ु
य उद् देश्य ऐसे व्यजततयों का तिकनमायण करने में तिकनहहत है िो स्वतत्रां
रूप से धचतां न
कर सकें तर्था जिनमें न के वल अपने स्वयां के ज्ञान का तिकनमायण करने की क्षमता हो अषपतु वे इसका
आत्मावलोकन भी कर सकें ।
पढ़ने की योग्यताएाँ
·  हहदी में कहानी, तिकनबध, यात्रा-वणनय
, िीवनी, पत्र, िायरी आहद को अर्थबोध के सार्थ पढ़ना।
·    पाठ्यवस्तु के सबां
धां
में षवचार करना और अपना मत व्यतत करना।
·    सदभय साहहत्य को पढ़कर अपने काम के लायक सचू
ना एकत्र करना।
·    पहठत वस्तु का साराांश तयै
ार करना।
शलखने की योग्यताएाँ
·   हहदी के पररधचत और अपररधचत शधदों की सही वतनय
·    षवराम धचह्नों का समधु चत रयोग करना।
·   भलखते हुए व्याकरण-सम्मत भाषा का रयोग करना।
ी भलखना।
·  हहदी में पत्र, तिकनबध, सकां
ेतों के आधार पर कहातिकनयाँ, वणनय
, साराांश आहद भलखना।
·     हहदां
ी से मातभृ
ाषा में और मातभृ
ाषा से हहदां
ी में अनवु
ाद करना।
रचनात्मक अशभव्यक्तत
·    िाद-वििाद
षवषय का चुनाव षवषय–भशक्षक स्वयां करेंI
आधार त्रबदां
ु– ताककय कता, भाषण कला, अपनी बात अधधकारपवू कय
कहनाI
·    कवि सम्मेलन
पाठ्यपस्ु
तक में सकां
भलत कषवताओां के आधार पर कषवता पाठ     या
मौभलक कषवताओँ की रचना कर कषव सम्मेलन या अत्ां याक्षरी
·    आधार ब दिं ु
Ø अभभव्यजतत
Ø गतिकत, लय, आरोह-अवरोह सहहत कषवता वाचन
Ø   मचां
पर बोलने का अभ्यास /या मचां
-भय से मजु तत
·    क ानी सनु
ाना/ क ानी शलखना या घिना का िणनण
/लेखन
Ø सवाद – भावानकु
ूल एवां पात्रानकु ू ल
Ø घसनाओां का क्रभमक षववरण
Ø रस्ततु
ीकरण
Ø उच्चारण
·    पररचय देना और पररचय लेना – पाठ्य पस्ु
तक के पाठों से रेरणा लेते हुए आधतिकु नक तरीके से
ककसी नए भमत्र से सवां
ाद स्र्थाषपत करते हुए अपना पररचय सरल शधदों में देना तर्था उसके षवषय
में िानकारी राप्त करना।
·   अशभनय कला – पाठों के आधार पर षवद्यार्थी अपनी अभभनय रतिकतभा का रदशनय
कर भाषा में
सवादों की अदायगी का रभावशाली रयोग कर सकते हैं। नासक एक सामहू हक कक्रया है, अतः
नासक के लेखन, तिकनदेशन सवाद, अभभनय, भाषा व उद्देश्य इत्याहद को देखते हुए भशक्षक स्वयां अको का तिकनधायरण कर सकता है।
·    आशभु
ाषण –   षवद्याधर्थयय
ों की अनभु
व पररधध से सबां
धां धत षवषय।
·    सामहू हक चचाय – षवद्याधर्थयय
ों की अनभु
व पररधध से सबां
धां धत षवषय।
मलू
यािंकन के सकिं
ेत ब दिं ओु
िं का वििरण
रस्ततु
ीकरण
Ø आत्मषवश्वास
Ø हाव-भाव
Ø रभावशीलता
Ø ताककय कता
Ø स्प सता षवषय वस्तु
Ø षवषय की सही अवधारणा
Ø तकय सम्मत भाषा
Ø अवसर के अनकु
उच्चारण
ूल शधद चयन व स्प सता।
Ø स्प स उच्चारण, सही अनतु
ान, आरोह-अवरोह।
कक्षा 9िीिं ह दी ‘ ’ – सकशलत परीक्षाओिं ेतु पाठ्यक्रम विननदेिन 2018-19
परीक्षा भार विभाजन
विषयिस्तु उप भार कु ल भार
1 पठन कौशल गद्याांश व काव्याांश पर शीषकय  का चनु ाव, षवषय-वस्तु का बोध, भाषषक त्रबदां ु /सरचना आहद पर लघु रश्न एवां अतिकत लघु रश्न 15
अपहठत गद्याांश (200 से 250 शधदों के ) (2×4) (1×1) 9
अपहठत काव्याांश लघु रश्न (100 से 150 शधदों के ) (2×3) 6
2 व्याकरण के भलए तिकनधायररत षवषयों पर षवषय-वस्तु का बोध, भाषषक त्रबदां ु
/सरचना आहद पर रश्न पछू े िाएांगे। (1×15)
15
1 वणय षवच्छे द (2 अकां ) 02
2 अनस्ु वार (1 अकां ), अननु ाभसक (1 अकां ) 02
3 नतु ता (1 अकां ) 01
4 उपसग-य रत्यय (3 अक) 03
5 सधध (4 अकां ) 04
6 षवराम धचह्न (3 अक) 03
3 पाठ्यपस्ु तक स्पशय भाग – 1 व परू कपाठ्यपस्ु तक सचां यन भाग 1 25
गद्य खांि 10
1 षवद्याधर्थयय ों की साहहत्य को पढ़कर समझ पाने की क्षमता
के आकलन पर आधाररत पाठ्यपस्ु तक स्पशय के गद्य पाठों के आधार पर लघु रश्न । (2×2) (1×1)
05
2 हहदी के माध्यम से अपने अनभु वों को भलखकर सहि अभभव्यजतत कर पाने की क्षमता का आकलन करने पर आधाररत पाठ्य पस्ु तक स्पशय के तिकनधायररत पाठों(गद्य) पर एक तिकनबधात्मक रश्न (5×1)
(षवकल्प सहहत)
05
काव्य खांि 10
1 कषवताओां के षवषय, काव्य बोध, अर्थय बोध व सराहना को
सरल शधदों में अभभव्यजतत करने की क्षमता पर आधाररत पाठ्यपस्ु तक स्पशय के काव्य खांि के आधार पर लघु रश्न (2×2), (1×1)
05
2 कषवताओां के अपने अनभु वों को भलखकर सहि अभभव्यजतत कर पाने की क्षमता का आकलन करने पर एक तिकनबधात्मक रश्न (5×1) (षवकल्प सहहत) 05
परू क पाठ्यपस्ु तक सचां यन भाग – 1 05
परू क पाठ्यपस्ु तक ‘सचयन’ के तिकनधायररत पाठों से एक  रश्न (5×1) 05
4 लेखन 25
सकां े त त्रबदां ओु ां पर आधाररत षवषयों एवां व्यावहाररक िीवन से िुड़े हुए षवषयों पर 80 से 100 शधदों में अनच्ु छे द (5×1) (षवकल्प सहहत) 05
अभभव्यजतत की क्षमता पर कें हित एक अनौपचाररक षवषय पर पत्र।
(5×1) (षवकल्प सहहत)
05
धचत्र वणनय  (20-30 शधदों) (5×1) 05
ककसी एक जस्र्थतिकत पर 50 शधदों के अतगतय सवाद लेखन (5×1) 05
षवषय से सबां धां धत 25-50 शधदों के अतगतय षवज्ञापन लेखन (5×1) 05
कु ल 80
नोस : तिकनम्नभलखखत पाठों से रश्न नहीां पछू
े िाएांगIे
स्पशय (भाग – 1) · धूल
· वज्ञै ातिकनक चेतना के वाहक चांिशखर वेंकस रामन
· गीत – अगीत
सचयन (भाग – 1) ·
·
कल्लू कु म्हार की उनाकोसी
मेरा छोसा-सा तिकनिी पस्ु तकालय
कक्षा 10िीिं ह दिं
ी ‘  ’ परीक्षा ेतु पाठ्यक्रम विननदेिन 2018-19
परीक्षा भार विभाजन
विषयिस्तु उप भार कु ल भार
1 पठन कौशल गद्याांश व काव्याांश पर शीषकय  का चनु ाव, षवषय-वस्तु का बोध, भाषषक त्रबदां ु /सरचना आहद पर लघु एवां अतिकत लघु रश्न 15
अपहठत गद्याांश (200 से 250 शधदों के ) (2×4) (1×1) 9
अपहठत काव्याांश (2×3) 6
2 व्याकरण के भलए तिकनधायररत षवषयों पर षवषय-वस्तु का बोध, भाषषक त्रबदां ु
/सरचना आहद पर रश्न (1×15)
15
1 शधद व पद में अतर ( 2 अक) 02
2 रचना के आधार पर वातय रूपाांतर (3 अक) 03
3 समास (4 अक) 04
4 अशद्ु धध शोधन (4 अक) 04
5 महु ावरे ( 2 अकां ) 02
3 पाठ्यपस्ु तक स्पशय भाग – 2 व परू क पाठ्यपस्ु तक सचां यन भाग 2 25
गद्य खांि 10
1 षवद्याधर्थयय ों की साहहत्य को पढकर समझ पाने की क्षमता के
आकलन पर आधाररत पाठ्यपस्ु तक स्पशय के गद्य पाठों के आधार पर लघु रश्न (2×2)    (1×1)
05
2 हहदां ी  के  माध्यम  से  अपने  अनभु वों  को  भलखकर  सहि  अभभव्यजतत कर पाने की क्षमता का आकलन  करने पर आधाररत पाठ्य पस्ु तक स्पशय के तिकनधायररत पाठों (गद्य) पर एक तिकनबधात्मक रश्न (5 x1) (षवकल्प सहहत) 05
काव्य खांि 10
1 कषवताओां के षवषय, काव्य बोध, अर्थ,य बोध व सराहना को
सरल शधदों में अभभव्यजतत करने की क्षमता पर आधाररत पाठ्यपस्ु तक स्पशय के काव्य खांि के आधार पर लघु रश्न (2×2) (1x 1)
05
2 कषवताओां के अपने अनभु वों को भलखकर सहि अभभव्यजतत कर पाने की क्षमता का आकलन करने पर एक तिकनबधात्मक रश्न (5 x1) (षवकल्प सहहत) 05
परू क पाठ्यपस्ु तक सचां यन भाग – 2 05
परू क पाठ्यपस्ु तक सचां यन के तिकनधारय रत पाठों से एक रश्न(5 x1) 05
4 लेखन 25
सकां े त त्रबदां ओु ां पर आधाररत षवषयों एवां व्यावहाररक िीवन से िुड़े हुए षवषयों पर 80 से 100 शधदों में अनच्ु छे द (5×1) 5
अभभव्यजतत की क्षमता पर कें हित एक औपचाररक षवषय पर पत्र।
(5×1)
5
एक षवषय 20-30 शधदों में सचू ना लेखन (5×1) 5
ककसी एक जस्र्थतिकत पर 50 शधदों के अतां गतय सवाद लेखन (5×1) 5
षवषय से सबां धां धत 25-50 शधदों के अतां गतय षवज्ञापन लेखन (5×1) 5
कु ल 80
नोस : तिकनम्नभलखखत पाठों से रश्न नहीां पछू
े िाएांगIे
स्पशय (भाग – 2) ·    मधुर मधुर मेरे दीपक िल
·    तीसरी कसम के भशल्पकार शलै ेंि
· धगरधगस
प्रश्नपत्र का प्रश्नानसु
ार विश्लेषण एििं प्राऱप
ननधाणररत समयािधध : 3 घििं
ह दी पाठ्यक्रम –
कक्षा – 9िीिं एििं 10िीिं
ेअधधकतम अकिं
: 80
क्र. प्रश्नों का प्राऱप दक्षता  परीक्षण  /अधधगम अनत लघत्ू तरात्मक नन धात्मक कु ल
स.िं पररणाम लघत्ू तरात्मक 2 अकिं 5 अकिं योग
1 अकिं
अपहठत बोध अवधारणात्मक  बोध,  अर्थग्रय हण, अनुमान लगाना, षवश्लेषण करना, शधदज्ञान व भाषषक कौशल 01 07 15
व्यावहाररक व्याकरखणक सांरचनाओां का बोध 15 15
व्याकरण और रयोग, षवश्लेषण एवां भाषषक
कौशल
पाठ्य पस्ु तक रत्यास्मरण, अर्थग्रय हण (भावग्रहण)
लेखक के मनोभावों को समझना शधदों   का   रसांगानकु ू ल    अर्थय समझना, आलोचनात्मक   धचतां न, ताककय कता, सराहना,   साहहजत्यक परांपराओां के परररेक्ष्य में   मूल्याकां   न,   षवश्लेषण,          सिृ नात्मकता, कल्पनाशीलता,  काय-य कारण सांबांध स्र्थाषपत करना, साम्यता एवां अांतरों की   पहचान, अभभव्यजतत में मौभलकता  एवां  िीवन  मूल्यों  की पहचान।
2 4 03 25
रचनात्मक सांके त त्रबदां ओु ां का षवस्तार,  अपने 5 25
लेखन   (लेखन मत की अभभव्यजतत, सोदाहरण
कौशल) समझना, औधचत्य तिकनधायरण, भाषा
में रवाहमयता, ससीक शैली, उधचत
रारूप का रयोग, अभभव्यजतत की
मौभलकता एवां िीवन मूल्यों की
पहचान।
कु ल 18×1=18 11×2=22 8×5=40 80

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