CBSE Curriculum for Senior School Certificate Examination (XI-XII) Hindi Core 2018-19
प्रस्तावना : | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ह दिं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ी (आधार) (कोड सिं. – 302) | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
(2018-19) | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
दसव ीं कक्षा तक हहदीं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ी का अध्ययन करने वाला ववद्यार्थी समझते हुए पढ़ने व सुनने के | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
सार्थ-सार्थ हहदीं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ी में सोचने और उसे मौखिक एवीं ललखित ऱप में व्यक्त कर पाने की सामान्य | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
दक्षता अर्जति | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
कर चकु | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ा होता है। उच्चतर माध्यलमक स्तर पर आने के बाद इन सभ | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
दक्षताओीं को सामान्य से ऊपर उस स्तर तक ले जाने की आवश्यकता होत है, जहााँ भाषा का | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
प्रयोग लभन्न-लभन्न व्यवहार-क्षेत्रों की माींगों के अनुऱप ककया जा सके । आधार पाठ्यक्रम, साहहर्ययक बोध के सार्थ-सार्थ भाषाई दक्षता के ववकास को ज्यादा महययव देता है। यह पाठ्यक्रम उन ववद्यार्र्थयों के ललए उपयोग साबबत होगा, जो आगे ववश्वववद्यालय में | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
अध्ययन करते हुए हहदीं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ी को एक ववषय के ऱप में पढ़ेंगे या ववज्ञान/सामार्जक ववज्ञान के | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ककस ववषय को हहदीं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ी माध्यम से पढ़ना चाहेंगे। यह उनके ललए भ उपयोग साबबत होगा, जो | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
उच्चतर माध्यलमक स्तर की लिक्षा के बाद ककस तरह के रोजगार में लग जाएींगे। वहााँ | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
कामकाज हहदीं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ी का आधारभूत अध्ययन काम आएगा। र्जन ववद्यार्र्थयि | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ों की रर्च जनसींचार | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
माध्यमों में होग , उनके ललए यह पाठ्यक्रम एक आरींलभक पष्ृ ठभूलम ननलमति | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
करेगा। इसके | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
सार्थ ही यह पाठ्यक्रम सामान्य ऱप से तरह-तरह के साहहयय के सार्थ ववद्यार्र्थयों के सींबींध | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
को सहज बनाएगा। ववद्यार्थी भावषक अलभव्यर्क्त के सूक्ष्म एवीं जहिल ऱपों से पररर्चत हो सकें गे। वे यर्थार्थि को अपने ववचारों में व्यवर्स्र्थत करने के साधन के तौर पर भाषा का | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
अर्धक सार्थकि | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
उपयोग कर पाएाँगे और उनमें ज वन के प्रनत मानव य सींवेदना एवीं सम्यक् | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
दृर्ष्ि का ववकास हो सके गा। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
उद्देश् : | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· इन माध्यमों और ववधाओीं के ललए उपयुक्त भाषा प्रयोग की इतन क्षमता उनमें आ | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
चकु | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ी होग कक वे स्वयीं इससे जुडे उच्चतर पाठ्यक्रमों को समझ सकें गे। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· सामार्जक हहसा की भावषक अलभव्यर्क्त की समझ। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· भाषा के अदीं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
र सकक्रय सयता सींबींध की समझ। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· सजृ | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
नायमक साहहयय को सराह पाने और उसका आनींद उठाने की क्षमता का ववकास | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
तर्था भाषा में सौंदयाियमकता उयपन्न करने वाली सजृ | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ववकास। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
नायमक युर्क्तयों की सींवेदना का | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· ववद्यार्र्थयों के भ तर सभ प्रकार की ववववधताओीं (धम,ि | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
जानत, ललगीं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
, क्षेत्र एवीं भाषा | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
सींबींध ) के प्रनत सकारायमक एवीं वववेकपूर्ि रवैये का ववकास। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· पठन-सामग्र को लभन्न-लभन्न कोर्ों से अलग-अलग सामार्जक, साींस्कृ नतक र्चतीं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ाओीं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
के पररप्रेक्ष्य में देिने का अभ्यास कराना तर्था दृर्ष्िकोर् की एकाींर्गकता के प्रनत | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
आलोचनायमक दृर्ष्ि का ववकास करना। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· ववद्यार्थी में स्तरीय साहहयय की समझ और उसका आनींद उठाने की स्फू नत,ि | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
एवीं उसमें साहहयय को श्रेष्ठ बनाने वाले तयवों की सींवेदना का ववकास। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ववकास | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· ववलभन्न ज्ञानानुिासनों के ववमिि की भाषा के ऱप में हहदीं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
उसकी क्षमताओीं का बोध। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ी की ववलिष्ि प्रकृ नत और | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· कामकाज हहदीं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ी के उपयोग के कौिल का ववकास। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· सींचार माध्यमों (वप्रिीं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
और इलेक्रॉननक) में प्रयुक्त हहदीं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ी की प्रकृ नत से पररचय और | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
इन माध्यमों की आवश्यकता के अनुऱप मौखिक एवीं ललखित अलभव्यर्क्त का | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ववकास। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· ववद्यार्थी में ककस भ अपररर्चत ववषय से सींबींर्धत प्रासींर्गक जानकारी के स्रोतों का अनुसींधान और व्यवर्स्र्थत ढींग से उनकी मौखिक और ललखित प्रस्तुनत की क्षमता का ववकास। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
शिक्षण-युक्ततयााँ | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· कु छ बातें इस स्तर पर हहदीं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ी लिक्षर् के लक्ष्यों के सींदभि में सामान्य ऱप से कही जा | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
सकत हैं। एक तो यह है कक कक्षा में दबाव एवीं तनाव मुक्त माहौल होने की र्स्र्थनत | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
में ही ये लक्ष्य हालसल ककए जा सकते हैं। चाँकू क इस पाठ्यक्रम में तैयारिुदा उयतरों को कीं ठस्र्थ कर लेने की कोई अपेक्षा नहीीं है, इसललए ववषय को समझने और उस समझ के आधार पर उयतर को िब्दबद्ध करने की योग्यता ववकलसत करना ही लिक्षक का काम है। इस योग्यता के ववकास के ललए कक्षा में ववद्यार्र्थयों और लिक्षक्षका के ब च ननबािध सींवाद जऱरी है। ववद्यार्थी अपन िींकाओीं और उलझनों को र्जतना ही अर्धक व्यक्त करेंगे, उतन ही ज़्यादा स्पष्िता उनमें आ पाएग । | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· भाषा की कक्षा से समाज में मौजूद ववलभन्न प्रकार के द्वींद्वों पर बातच त का मींच | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
बनाना चाहहए। उदाहरर् के ललए सींववधान में ककस िब्द वविषे | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
के प्रयोग पर ननषेध | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
को चचाि का ववषय बनाया जा सकता है। यह समझ जऱरी है कक ववद्यार्र्थयों को | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
लसफि सकारायमक पाठ देने से काम नहीीं चलेगा बर्कक उन्हें समझाकर भावषक यर्थार्थि का स धे सामना करवाने वाले पाठों से पररचय होना जऱरी है। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· िींकाओीं और उलझनों को रिने के अलावा भ कक्षा में ववद्यार्र्थयों को अर्धक-से- अर्धक बोलने के ललए प्रेररत ककया जाना जऱरी है। उन्हें यह अहसास कराया जाना चाहहए कक वे पहठत सामग्र पर राय देने का अर्धकार और ज्ञान रिते हैं। उनकी राय को प्रार्थलमकता देने और उसे बेहतर तरीके से पुनः प्रस्तुत करने की अध्यापकीय िैली यहााँ बहुत उपयोग होग । | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· ववद्यार्र्थयों को सींवाद में िालमल करने के ललए यह भ जऱरी होगा कक उन्हें एक | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
नामहीन समूह न मानकर अलग-अलग व्यर्क्तयों के ऱप में अहलमयत दी जाए। लिक्षकों को अक्सर एक कु िल सींयोजक की भूलमका में स्वयीं देिना होगा, जो ककस | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
भ इच्छु क व्यर्क्त को सींवाद का भाग दार बनने से वींर्चत नहीीं रित,े | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
उसके कच्च-े | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
पक्के वक्तव्य को मानक भाषा-िैली में ढाल कर उसे एक आभा दे देते हैं और मौन | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
को अलभव्यींजना मान बैठे लोगों को मुिर होने पर बाध्य कर देते हैं। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· अप्रययालित ववषयों पर र्चतीं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
न तर्था उसकी मौखिक व ललखित अलभव्यर्क्त की | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
योग्यता का ववकास लिक्षकों के सचते | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
प्रयास से ही सींभव है। इसके ललए लिक्षकों को | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
एक ननर्श्चत अतीं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
राल पर नए-नए ववषय प्रस्ताववत कर लेि एवीं अनुच्छे द ललिने | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
तर्था सींभाषर् करने के ललए पूरी कक्षा को प्रेररत करना होगा। यह अभ्यास ऐसा है, | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
र्जसमें ववषयों की कोई स मा तय नहीीं की जा सकत । ववषय की अस म सींभावना के ब च लिक्षक यह सुननर्श्चत कर सकते हैं कक उसके ववद्यार्थी ककस ननबींध-सींकलन या कींु ज से तैयारिुदा सामग्र को उतार भर न ले। तैयार िुदा सामग्र के लोभ से, बाध्यतावि ही सही मुर्क्त पाकर ववद्यार्थी नये तरीके से सोचने और उसे िब्दबद्ध | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
करने के ययन में सन्नद्ध होंगे। मौखिक अलभव्यर्क्त पर भ वविषे | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ध्यान देने की | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
जऱरत है, क्योंकक भववष्य में साक्षायकार, सींगोष्ठी जैसे मौकों पर यही योग्यता | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ववद्यार्थी के काम आत है। इसके अभ्यास के लसललसले में लिक्षकों को उर्चत हावभाव, मानक उच्चारर्, पॉज, बलाघात, हार्जरजवाब इययाहद पर िास बल देना होगा। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· मध्यकालीन काव्य की भाषा के ममि से ववद्यार्थी का पररचय कराने के ललए जऱरी होगा कक ककताबों में आए काव्याींिों की सींग तबद्ध प्रस्तुनतयों के ऑडियो-व डियो कै सेि तैयार ककए जाएाँ। अगर आसान से कोई गायक/गानयका लमले तो कक्षा में मध्यकालीन साहहयय के लिक्षर् में उससे मदद ली जान चाहहए। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· वयृ तर्चत्रों और लसनेमा को लिक्षर् सामग्र के तौर पर इस्तेमाल करने की जऱरत है। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
इनके प्रदिनि | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
के क्रम में इन पर लगातार बातच त के जररए लसनेमा के माध्यम से | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
भाषा के प्रयोग की ववलिष्िता की पहचान कराई जा सकत है और हहदीं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ी की अलग- | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
अलग छिा हदिाई जा सकत है। ववद्यार्र्थयों को स्तरीय परीक्षा करने को भ कहा | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
जा सकता है। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· कक्षा में लसफि एक पाठ्यपुस्तक की भौनतक उपर्स्र्थनत से बेहतर यह है कक लिक्षक के हार्थ में तरह-तरह की पाठ्यसामग्र को ववद्यार्थी देि सकें और लिक्षक्षका उनका कक्षा में अलग-अलग मौकों पर इस्तेमाल कर सके । | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· भाषा लगातार ग्रहर् करने की कक्रया में बनत है, इसे प्रदलिति | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
करने का एक तरीका | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
यह भ है कक लिक्षक िदु | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
यह लसिा सकें कक वे भ िब्दकोि, साहहययकोि, सींदभग्रींर्थ | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
की लगातार मदद ले रहे हैं। इससे ववद्यार्र्थयों में इसका इस्तेमाल करने को लेकर | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
तयपरता बढ़ेग । अनुमान के आधार पर ननकितम अर्थि तक पहुाँचकर सतीं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ुष्ि होने की | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
जगह वे सही अर्थि की िोज करने का अर्थि समझ पाएाँगे। इससे िब्दों की अलग- | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
अलग रींगत का पता चलेगा और उनमें सींवेदनि लता बढ़ेग । वे िब्दों के बारीक अतीं र | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
के प्रनत और सजग हो पाएाँगे। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· कक्षा-अध्यापन के पूरक कायि के ऱप में सेलमनार, ट्यूिोररयल कायि, समस्या-समाधान | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
काय,ि | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
समूहचचाि, पररयोजना काय,ि | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
स्वाध्याय आहद पर बल हदया जाना चाहहए। पाठ्यक्रम | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
में जनसींचार माध्यमों से सींबींर्धत अिीं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ों को देिते हुए यह जऱरी है कक समय-समय | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
पर इन माध्यमों से जुडे व्यर्क्तयों और वविषे | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ज्ञों को भ ववद्यालय में बुलाया जाए | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
तर्था उनकी देि-रेि में कायिालाएाँ आयोर्जत की जाएीं। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· लभन्न क्षमता वाले ववद्यार्र्थयि | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ों के ललए उपयुक्त लिक्षर् सामग्र का इस्तेमाल ककया | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
जाए तर्था उन्हें ककस भ प्रकार से अन्य ववद्यार्र्थयों से कमतर या अलग न समझा | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
जाए। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· कक्षा में लिक्षक को हर प्रकार की ववलभन्नता और ललगीं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
जानत धम ि | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
वगि के प्रनत | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
सकारायमक और सींवेदनि ल वातावरर् ननलमति | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
करना चाहहए। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
श्रवण तथा वाचन परीक्षा ेतु हदिा-ननदेि | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
श्रवण (सुनना) : वखर्ति | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
या पहठत सामग्र को सनु | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
कर अर्थग्रि | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
हर् करना, वातािलाप करना, वाद- | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
वववाद, भाषर्, कववतापाठ आहद को सुनकर समझना, मूकयाींकन करना और अलभव्यर्क्त के | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ढींग को समझना। 5 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
वाचन (बोलना) : भाषर्, सस्वर कववता-पाठ, वातािलाप और उसकी औपचाररकता, कायक्रम- प्रस्तुनत, कर्था-कहान अर्थवा घिना सुनाना, पररचय देना, भावानुकू ल सींवाद-वाचन। 5 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
हिप्पणी : वातािलाप की दक्षताओीं का मूकयाींकन ननरींतरता के आधार पर परीक्षा के समय ही | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
होगा। ननधािररत 10 अकों में से 5 श्रवर् (सुनना) कौिल के मूकयाींकन के ललए और 5 वाचन | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
(बोलना) कौिल के मूकयाींकन के ललए होंगे। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
श्रवण (सुनना) कौिल का मूलयािंकन : | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· परीक्षक ककस प्रासींर्गक ववषय पर एक अनच्ु | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
छे द का स्पष्ि वाचन करेगा। अनुच्छे द | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
तथ्यायमक या सुझावायमक हो सकता है। अनुच्छे द लगभग 250 िब्दों का होना | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
चाहहए। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
या | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
परीक्षक 2-3 लमनि का श्रव्य अिीं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
(ऑडियो र्क्लप) सुनवाएगा। अिीं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
रोचक होना | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
चाहहए । कथ्य /घिना पूर्ि एवीं स्पष्ि होन चाहहए। वाचक का उच्चारर् िुद्ध स्पष्ि | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
एवीं ववराम र्चह्नों के उर्चत प्रयोग सहहत होना चाहहए। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· अध्यापक को सुनत-े सुनते परीक्षार्थी अलग कागज़ पर हदए हुए श्रवर् बोध के अभ्यासों को हल कर सकें गे। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· अभ्यास ररक्तस्र्थान-पूनत,ि | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
हो सकते हैं। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
बहुववककप अर्थवा सयय/असयय का चनु | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ाव आहद ववधाओीं में | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· अनत लघउु | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
यतरायमक 5 प्रश्न पछू | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ेजाएाँगे। (1×5 =5) | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
मौखिक अशिव्यक्तत (बोलना) का मलू | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
यािंकन : | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· र्चत्रों के क्रम पर आधाररत वर्न : इस भाग में अपेक्षा की जाएग कक ववद्यार्थी | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
वववरर्ायमक भाषा का प्रयोग करें। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· ककस र्चत्र का वर्नि | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
: र्चत्र व्यर्क्त या स्र्थान के हो सकते हैं। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· ककस ननधािररत ववषय पर बोलना : र्जससे ववद्यार्थी अपने व्यर्क्तगत अनुभव का | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
प्रययास्मरर् कर सकें । | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· कोई कहान सुनाना या ककस घिना का वर्नि | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
करना। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· पररचय देना। 2 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
अकीं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
(स् / पररवार/ वातावरर्/ वस्त/ु | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
व्यर्क्त/ पयािवरर्/ कवव /लेिक आहद) | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· कु ल त न प्रश्न पछू | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ेजा सकते हैं। 1×3=3 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
हिप्पणी : | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· परीक्षर् से पूवि परीक्षार्थी को तैयारी के ललए कु छ समय हदया जाए। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· वववरर्ायमक भाषा में वतमान काल का प्रयोग अपेक्षक्षत है। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· ननधािररत ववषय परीक्षार्थी के अनुभव-जगत के हों। जैसे – कोई चिु प्रसींग सुनाना। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
कु ला या हास्य | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
अर्थवा | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
हाल में पढ़ी पुस्तक या देिे हुए चलर्चत्र (लसनेमा) की कहान सुनाना। जब परीक्षार्थी बोलना आरींभ करें तो परीक्षक कम से कम हस्तक्षेप करें। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
कौिलों के अतिं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
रण का मलू | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
यािंकन | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
(इस बात का ननश्चय करना कक क्या ववद्यार्थी में श्रवर् और वाचन की ननम्नललखित योग्यताएाँ हैं।) | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
श्रवण (सनु ना) | वाचन (बोलना) | |||||||||||||||||||||||||||||||||
1 | पररर्चत सदभों में प्रयक्ु त िब्दों और पदों | 1 | के वल अलग-अलग िब्दों और पदों के | |||||||||||||||||||||||||||||||
को समझने की सामान्य योग्यता है ककीं तु | प्रयोग की योग्यता प्रदलिति करता है | |||||||||||||||||||||||||||||||||
वह ससु बीं द्ध आिय को नहीीं समझ पाता। | ककीं तु एक ससु बीं द्ध स्तर पर नहीीं | |||||||||||||||||||||||||||||||||
बोल सकता। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
2 | छोिे ससु बीं द्ध कर्थनों को पररर्चत सदभों | 2 | पररर्चत सदभों में के वल छोिे सबद्ध | |||||||||||||||||||||||||||||||
में समझने की योग्यता है। | कर्थनों का स लमत िद्ु धता से प्रयोग | |||||||||||||||||||||||||||||||||
करता है। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
3 | पररर्चत या अपररर्चत दोनों सदभों में | 3 | अपेक्षाकृ त दीघि भाषर् में अर्धक | |||||||||||||||||||||||||||||||
कर्र्थत सचू ना को स्पष्ि समझने की | जहिल कर्थनों के प्रयोग की योग्यता | |||||||||||||||||||||||||||||||||
योग्यता है। | प्रदलिति करता है, अभ भ कु छ | |||||||||||||||||||||||||||||||||
अिद्ु र् यााँ करता है, र्जससे प्रेषर् में | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
रकावि आत है। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
4 | दीघि कर्थनों की ििींृ ला को पयािप्त िद्ु धता | 4 | अपररर्चत र्स्र्थनतयों में ववचारों को | |||||||||||||||||||||||||||||||
से समझने के ढींग और ननष्कषि ननकाल | ताककि क ढींग से सगीं हठत कर धारा- | |||||||||||||||||||||||||||||||||
सकने की योग्यता है। | प्रवाह ऱप में प्रस्ततु करता है। ऐस | |||||||||||||||||||||||||||||||||
गलनतयााँ करता है र्जनसे प्रेषर् में | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
रकावि नहीीं आत । | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
5 | जहिल कर्थनों के ववचार-बबदीं ओु ीं को | 5 | उद् देश्य और श्रोता के ललए उपयक्ु त | |||||||||||||||||||||||||||||||
समझने की योग्यता प्रदलिति करने की | िली को अपना सकता है, ऐसा करते | |||||||||||||||||||||||||||||||||
क्षमता है। वह उद् देश्य के अनकु ू ल सनु ने | समय वह के वल मामलू ी गलनतयााँ | |||||||||||||||||||||||||||||||||
की कु िलता प्रदलिति करता है। | करता है। | |||||||||||||||||||||||||||||||||
पररयोजना कायय – कु ल अकिं 10 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
व्यर्क्तगत ऱप से हदया जाएगा – 5 अकीं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
1. ववषयवस्तु – 1 अकीं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
2. िब्द स मा (1000 िब्द) – 1 अकीं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
3. भाषा िली – 1 अकीं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
4. ववषय से सबीं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
र्ीं धत र्चत्र तर्था आाँकडे – 1 अकीं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
5. प्रस्ततु | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
करर् – 1 अकीं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· पररयोजना कायि के आधार पर मौखिकी – 5 अकीं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
कक्षा – बारहव ीं में बाह्य परीक्षक द्वारा मौखिकी ली जाएग । | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
· पररयोजना कायि हहन्दी भाषा और साहहयय से सबीं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
द्ीं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ध हो। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ह दिं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ी (आधार) (कोड सिं. 302) | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
कक्षा – 11वीिं (2018-19) | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
िडिं | ववषय | अकिं | ||||||||||||||||||||||||||||||||
(क) | अपहित अििं | 16 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
1 | अपहठत गद्याींि – बोध (गद्याींि पर आधाररत बोध, प्रयोग, रचनाींतरर्, ि षकि आहद पर लघूयतरायमक प्रश्न (2×4 लघूयतरायमक प्रश्न+1×2 अनतलघूयतरायमक प्रश्न) |
10 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
2 | दो में से एक अपहठत काव्याींि-बोध (काव्याींि पर आधाररत छह लघूयतरायमक प्रश्न) (1×6) | 6 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
(ि) | कायायलयी ह दिं ी और रचनात्मक लेिन | 20 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
3 | ननबींध (ववककप सहहत) | 8 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
4 | कायािलय पत्र (ववककप सहहत) | 5 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
5 | जनसींचार माध्यम और पत्रकाररता के ववववध आयामों पर चार लघूयतरायमक प्रश्न (1×4) | 4 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
6 | फीचर, ररपोिि, आलेि लेिन (ज वन-सींदभों ये जुड घिनाओीं और र्स्र्थनतयों पर) ववककप सहहत (3×1) | 3 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
(ग) | पाठ्यपुस्तक | 44 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
(1) | आरो िाग – 1 | 32 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
(अ) | काव्य िाग | 16 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
7 | दो काव्याींिों में से ककस एक काव्याींि पर अर्थग्रि हर् से सींबींर्धत त न प्रश्न (2×3) |
06 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
8 | एक काव्याींि के सौंदयबोध पर त न में से दो प्रश्न (3×2) | 06 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
9 | कववताओीं की ववषयवस्तु पर आधाररत त न में से दो लघूयतरायमक प्रश्न (2×2) | 04 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
(ब) | गद्य िाग | 16 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
10 | गद्याींि पर आधाररत अर्थग्रहर् से सींबींर्धत चार प्रश्न (2×3) (1×1) | 07 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
11 | पाठों की ववषयवस्तु पर आधाररत चार में से त न बोधायमक प्रश्न (3×3) | 09 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
(2) | ववतान िाग – 1 | 12 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
12 | पाठों की ववषयवस्तु पर आधाररत दो में से एक प्रश्न (4×1) | 04 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
13 | ववषयवस्तु पर आधाररत त न में से दो ननबींधायमक प्रश्न (4×2) | 8 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
(घ) | (क) | श्रवर् तर्था वाचन -10 | 20 | |||||||||||||||||||||||||||||||
(ि) | पररयोजना – 10 | |||||||||||||||||||||||||||||||||
कु ल | 100 | |||||||||||||||||||||||||||||||||
नोि : ननम्नललखित पाठों से प्रश्न नहीीं पछू | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ेजाएींगIे | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
आरोह (भाग – 1) | · अप्पू के सार्थ ढाई साल · आयमा का ताप · पर्र्थक |
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प्रस्ताववत पस्ु | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
तकें : | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
1. आरो , िाग – 1, एन.स .ई.आर.िी. द्वारा प्रकालितI | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
2. ववतान िाग – 1, एन.स .ई.आर.िी. द्वारा प्रकालितI | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
3. अशिव्यक्तत और माध्यम एन.स .ई.आर.िी. द्वारा प्रकालित (िींि – ि कामकाज हहदी और रचनायमक लेिन हेत)ु I | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ह दिं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ी (आधार) (कोड सिं. 302) | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
कक्षा – 12वीिं (2018-19) | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
िडिं | ववषय | अकिं | ||||||||||||||||||||||||||||||||
(क) | अपहित अििं | 16 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
1 | अपहठत गद्याींि – बोध (गद्याींि पर आधाररत बोध, प्रयोग, रचनाींतरर्, ि षकि आहद पर लघूयतरायमक प्रश्न (1×2) + 5 लघूयतरायमक प्रश्न (2x 5) |
12 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
2 | अपहठत काव्याींि-बोध (काव्याींि पर आधाररत चार लघूयतरायमक प्रश्न) (1×4) | 04 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
(ि) | कायायलयी ह दिं ी और रचनात्मक लेिन | 20 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
3 | ककस एक ववषय पर अनुच्छे द (ववककप सहहत) | 05 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
4 | कायािलय पत्र (ववककप सहहत) | 05 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
5 | वप्रिीं माध्यम, सींपादकीय, ररपोिि, आलेि आहद पर चार अनतलघूयतरायमक प्रश्न (1×4) | 04 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
6 | ककस एक ववषय पर आलेि अर्थवा हाल ही में पढ़ी पुस्तक की सम क्षा (3×1) | 03 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
7 | ज वन-सींदभों से जुड घिनाओीं और र्स्र्थनतयों पर फीचर लेिन (3×1) | 03 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
(ग) | पाठ्यपुस्तक | 44 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
(1) | आरोह भाग-2 | 32 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
(अ) | काव्य भाग | 16 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
8 | दो काव्याींिों में से ककस एक पर अर्थग्रहर् से सींबींर्धत त न प्रश्न (2×3) | 06 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
9 | काव्याींि के सौंदयबोध पर दो में से एक काव्याींि पर दो प्रश्न (2×2) | 04 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
10 | कववताओीं की ववषयवस्तु से सींबींर्धत त न में से दो लघूयतरायमक प्रश्न (3×2) | 06 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
(ब) | गद्य भाग | 16 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
11 | दो गद्याींिों में से ककस एक गद्य पर आधाररत अर्थग्रहर् के त न प्रश्न (2×3) |
06 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
12 | पाठों की ववषयवस्तु पर आधाररत चार बोधायमक प्रश्न (3×3) (1×1) | 10 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
(2) | ववतान िाग-2 | 12 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
12 | पाठों की ववषयवस्तु पर आधाररत एक प्रश्न (4×1) ववककप सहहत | 04 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
13 | ववषयवस्तु पर आधाररत त न में से दो ननबींधायमक प्रश्न (4×2) | 8 | ||||||||||||||||||||||||||||||||
(घ) | (क) | श्रवर् तर्था वाचन – 10 | 20 | |||||||||||||||||||||||||||||||
(ि) | पररयोजना – 10 | |||||||||||||||||||||||||||||||||
कु ल | 100 | |||||||||||||||||||||||||||||||||
नोि : ननम्नललखित पाठों से प्रश्न नहीीं पछू | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ेजाएींगIे | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
आरोह (भाग – 2) | · बादल राग | |||||||||||||||||||||||||||||||||
प्रस्ताववत पस्ु | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
तकें : | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
1. आरो , िाग – 2, एन.स .ई.आर.िी. द्वारा प्रकालितI | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
2. ववतान, िाग – 2, एन.स .ई.आर.िी. द्वारा प्रकालितI | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
3. ‘अशिव्यक्तत और माध्यम’, एन.स .ई.आर.िी. द्वारा प्रकालित (िींि – ि कामकाज हहदी और रचनायमक लेिन हेत)ु I | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
प्रश्नपत्र का प्रश्नानुसार ववश्लेषण एविं प्रारूप | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ह दिं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ी पाठ्यक्रम – 11वीिं आधार (2018-19) | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
समयावधध : 3 घिंिे अधधकतम अकिं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
: 100 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
क्र. सिं. | प्रश्नों का प्रारूप | दक्षता परीक्षण/ अधधगम पररणाम | 1 अकिं |
2 अकिं |
3 अकिं |
4 अकिं |
5 अकिं |
8 अकिं |
कु ल | |||||||||||||||||||||||||
1 | अपहित बोध | अवधारर्ायमक बोध, अर्थग्रहर्, | 8 | 4 | – | – | – | – | 16 | |||||||||||||||||||||||||
(पिन कौिल) | अनुमान लगाना, ववश्लेषर् करना, | |||||||||||||||||||||||||||||||||
िब्द-ज्ञान व भावषक प्रयोग, | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
सजृ नायमकता, मौललकता। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
2 | कायायलयी ह दिं ी | सके त बबदीं ओीं का ववस्तार, अपने मत | 4 | – | 1 | – | 1 | 1 | 20 | |||||||||||||||||||||||||
और रचनात्मक | की अलभव्यर्क्त, सोदाहरर् समझना, | |||||||||||||||||||||||||||||||||
लेिन (लेिन | और्चयय ननधािरर्, भाषा में प्रवाहमयता, सिीक िैली, उर्चत |
|||||||||||||||||||||||||||||||||
कौिल) | प्राऱप का प्रयोग, अलभव्यर्क्त की | |||||||||||||||||||||||||||||||||
मौललकता, सजृ नायमकता एवीं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ताककि कताI | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
3 | पाठ्यपुस्तकें | प्रययास्मरर्, ववषयवस्तु का बोध एवीं व्याख्या, अर्थग्रि हर् (भावग्रहर्), लेिक के मनोभावों को समझना, िब्दों का प्रसींगानुकू ल अर्थि समझना, आलोचनायमक र्चतीं न, ताककि कता, सराहना, साहहर्ययक परींपराओीं के पररप्रेक्ष्य में मूकयाींकन, ववश्लेषर्, सजृ नायमकता, ककपनाि लता, कायि- कारर् सींबींध स्र्थावपत करना, साम्यता एवीं अींतरों की पहचान, अलभव्यर्क्त में मौललकता एवीं ज वन-मूकयों की पहचान। | 1 | 8 | 5 | 3 | – | – | 44 | |||||||||||||||||||||||||
4 | (क) | श्रवर् तर्था वाचन | – | – | – | – | – | – | 10 | |||||||||||||||||||||||||
(ि) | पररयोजना | – | – | – | – | – | – | 10 | ||||||||||||||||||||||||||
कु ल | 1×13 =13 |
2×12 =24 |
3×6= 18 |
4×3= 12 |
5×1= 5 |
8×1 =8 |
100 | |||||||||||||||||||||||||||
प्रश्नपत्र का प्रश्नानुसार ववश्लेषण एविं प्रारूप | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ह दिं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
ी पाठ्यक्रम – 12वीिं आधार (2018-19) | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
समयावधध : 3 घिंिे अधधकतम अकिं | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
: 100 | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
क्र. सिं. | प्रश्नों का प्रारूप | दक्षता परीक्षण/ अधधगम पररणाम | 1 अकिं |
2 अकिं |
3 अकिं |
4 अकिं |
5 अकिं |
कु ल | ||||||||||||||||||||||||||
1 | अपहित बोध | अवधारर्ायमक बोध, अर्थग्रि हर्, अनुमान | 6 | 5 | – | – | – | 16 | ||||||||||||||||||||||||||
(पिन कौिल) | लगाना, ववश्लेषर् करना, िब्द-ज्ञान व | |||||||||||||||||||||||||||||||||
भावषक प्रयोग, सजृ नायमकता, मौललकता। | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
2 | कायायलयी ह दिं ी | सके त बबदीं ओीं का ववस्तार, अपने मत की | 4 | – | 2 | – | 2 | 20 | ||||||||||||||||||||||||||
और रचनात्मक | अलभव्यर्क्त, सोदाहरर् समझना, और्चयय | |||||||||||||||||||||||||||||||||
लेिन (लेिन | ननधािरर्, भाषा में प्रवाहमयता, सिीक िैली, उर्चत प्राऱप का प्रयोग, अलभव्यर्क्त की |
|||||||||||||||||||||||||||||||||
कौिल) | मौललकता, सजृ नायमकता एवीं ताककि कता | |||||||||||||||||||||||||||||||||
3 | पाठ्यपुस्तकें | प्रययास्मरर्, ववषयवस्तु का बोध एवीं व्याख्या, अर्थग्रहर् (भावग्रहर्), लेिक के मनोभावों को समझना, िब्दों का प्रसींगानुकू ल अर्थि समझना, आलोचनायमक र्चतीं न, ताककि कता, सराहना, साहहर्ययक परींपराओीं के पररप्रेक्ष्य में मूकयाींकन, ववश्लेषर्, सजृ नायमकता, ककपनाि लता, काय-ि कारर् सींबींध स्र्थावपत करना, साम्यता एवीं अींतरों की पहचान, अलभव्यर्क्त में मौललकता एवीं ज वन-मूकयों की पहचान। | 1 | 8 | 5 | 3 | – | 44 | ||||||||||||||||||||||||||
4 | (क) | श्रवर् तर्था वाचन | – | – | – | – | – | 10 | ||||||||||||||||||||||||||
(ि) | पररयोजना | – | – | – | – | – | 10 | |||||||||||||||||||||||||||
कु ल | 1×11 =11 |
2×13 =26 |
3×7= 21 |
4×3= 12 |
5×2= 10 |
100 |
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