Senior School Certificate Examination (XI-XII) Hindi Elective 2018-19

CBSE Curriculum for Senior School Certificate Examination (XI-XII) Hindi Elective 2018-19

ह दी (ऐच्छिक) कोड सख्िं
या – 002
प्रस्तावना :
कक्षा 11व िं – 12व िं (2018-19)
उच्चतर माध्यममक स्तर में प्रवेश लेने वाला ववद्यार्थी पहली बार सामान्य मशक्षा से ववशषे
अनशु
ासन
की मशक्षा की ओर उन्मखु
होता है। दस वषों में ववद्यार्थी भाषा के कौशलों से पररचचत हो जाता है।
भाषा और साहहत्य के स्तर पर उसका दायरा अब घर, पास-पडोस, स्कू ल, प्राांत और देश से होता हुआ
धीरे-धीरे ववश्व तक फै ल जाता है। वह इस उम्र में पहुुँच चकु
ा है कक देश की साांस्कृ ततक, सामाजजक,
राजनीततक और आचर्थकि
समस्याओां पर ववचार-ववमशि कर सके , एक जज म्मेदार नागररक की तरह
अपनी जज  म्मदे
ाररयों को समझ सके तर्था देश और खुद को सही हदशा दे सकने में भाषा की ताकत
को पहचान सके । ऐसे दृढ़ भावषक और वचाररक आधार के सार्थ जब ववद्यार्थी आता है तो उसे ववमशि
की भाषा के ऱप में हहदी की व्यापक समझ और प्रयोग में दक्ष बनाना सबसे पहला उद् देश्य होगा।
ककशोरावस्र्था से यवु
ावस्र्था के इस नाजुक मोड पर ककसी भी ववषय का चुनाव करते समय बच्चे और
उनके अमभभावक इस बात को लेकर सबसे अचधक चचततत रहते हैं कक चयतनत ववषय उनके भावी
कै ररयर और जीववका के अवसरों में मदद करेगा कक नहीां। इस उम्र के  ववद्याचर्थयि
ों में चचतन और
तनर्यि
करने की प्रवजृ त्त भी प्रबल होती है। इसी आधार पर वे अपने मानमसक, सामाजजक, बौद् चधक
और भावषक ववकास के प्रतत भी सचेत होते हैं और अपने भावी अध्ययन की हदशा तय करते हैं। इस
स्तर पर ऐजच्िक हहदां
ी का अध्ययन एक सजृ
नात्मक, साहहजत्यक, साांस्कृ ततक और ववमभन्न प्रयजु ततयों
की भाषा के ऱप में होगा। इस बात पर भी बल हदया जाएगा कक तनरांतर ववकमसत होती हहदां
अखखल भारतीय स्वऱप से बच्चे का ररश्ता बन सके ।
ी के
इस स्तर पर ववद्याचर्थयि
ों में भाषा के मलखखत प्रयोग के सार्थ-सार्थ उसके मौखखक प्रयोग की कु शलता
और दक्षता का ववकास भी जऱरी है। प्रयास यह भी होगा कक ववद्यार्थी अपने बबखरे हुए ववचारों और
भावों की सहज और मौमलक अमभव्यजतत की क्षमता हामसल कर सके ।
इस पाठ्यक्रम के अध्ययन से :
1.        ववद्यार्थी अपनी रचच और आवश्यकता के अनऱु
जारी रख सकें गे।
प साहहत्य का गहन और ववशषे
अध्ययन
2.      ववश्वववद्यालय स्तर पर तनधािररत हहदी-साहहत्य से सबां
स्र्थावपत कर सकें गे।
चधत पाठ्यक्रम के सार्थ सहज सबां
धां
3.          लेखन-कौशल के व्यावहाररक और सजृ
नात्मक ऱपों की अमभव्यजतत में सक्षम हो सकें गे।
4.        रोजगार के ककसी भी क्षेत्र में जाने पर भाषा का प्रयोग प्रभावी ढांग से कर सकें गे।
5      यह पाठ्यक्रम ववद्यार्थी को सचार तर्था प्रकाशन जैसे ववमभन्न-क्षत्रे
करने का अवसर प्रदान कर सकता है।
ों में अपनी क्षमता व्यतत
उद्देश्य :
·      सजृ
नात्मक साहहत्य की सराहना, उसका आनदां
उठाना और उसके प्रतत सजृ
नात्मक और
आलोचनात्मक दृजटि का ववकास करना।
·    साहहत्य की ववववध ववधाओां (कववता, कहानी,   तनबधां
आहद), महत्त्वपर्ू
ि कववयों  और
रचनाकारों, प्रमखु
धाराओां और शमै लयों का पररचय कराना।
·      भाषा की सजृ
नात्मक बारीककयों और व्यावहाररक प्रयोगों का बोध तर्था सदां
भि और समय के
अनसु
ार प्रभावशाली ढांग से उसकी मौखखक और मलखखत अमभव्यजतत करना।
·   ववमभन्न ज्ञानानशु
का बोध कराना।
ासनों के ववमशि की भाषा के ऱप में हहदां
ी की ववमशटि प्रकृ तत एवां क्षमता
·    साहहत्य की प्रभावशाली क्षमता का उपयोग करते हुए सभी प्रकार की ववववधताओां (धम,ि
जातत, मलगां
, वग,ि
भाषा आहद) एवां अतरों के प्रतत सकारात्मक और सवदनशील व्यवहार का
ववकास करना।
·    देश-ववदेश में प्रचमलत हहदी के ऱपों से पररचचत कराना।
·     सचार-माध्यमों (वप्रिां
और इलेतरॉतनक) में प्रयतु
त हहदां
ी की प्रकृ तत से अवगत कराना और
नवीन ववचधयों के प्रयोग की क्षमता का ववकास करना।
·     साहहत्य की व्यापक धारा के बीच रखकर ववमशटि रचनाओां का ववश्लेषर् और वववेचन करने की क्षमता हामसल करना।
·   ववपरीत पररजस्र्थततयों में भी भाषा का इस्तमाल शाांतत के सार्थ करना।
·      अमतू
ि ववषयों पर प्रयतु
त भाषा का ववकास और कल्पनाशीलता और मौमलक चचतां
न के मलए
प्रयोग करना।
शिक्षण-यच्ु ततयााँ :
इन कक्षाओां में उचचत वातावरर्-तनमािर् में अध्यापकों की भमू मका सदैव सहायक की होनी चाहहए। उनको भाषा और साहहत्य की पढ़ाई में इस बात पर ध्यान देने की जऱरत होगी कक-
·   कक्षा का वातावरर् सवादात्मक हो ताकक अध्यापक, ववद्यार्थी और पस्ु
ररश्ता बन सके ।
·    गलत से सही की ओर पहुुँचने का प्रयास हो। यानी बच्चों को स्वतत्रां
तक तीनों के बीच एक
ऱप से बोलने, मलखने
और पढ़ने हदया जाए और कफर उनसे होने वाली भलू
ों की पहचान करा कर अध्यापक अपनी
पढ़ाने की शली में पररवतनि
करे।
·  ऐसे मशक्षर्-बबदां ओु
ां की पहचान की जाए, जजससे कक्षा में ववद्यार्थी की सकक्रय भागीदारी रहे
और अध्यापक भी उनका सार्थी बना रहे।
·   मभन्न क्षमता वाले ववद्याचर्थयि
ों के मलए उपयतु
त मशक्षर्-सामग्री का इस्तमाल ककया जाए तर्था
ककसी भी प्रकार से उन्हें अन्य ववद्याचर्थयि
ों से कमतर या अलग न समझा जाए।
·   कक्षा में अध्यापक को हर प्रकार की ववमभन्नताओां (मलगां
,  धम,ि
जातत, वगि आहद) के  प्रतत
सकारात्मक और सवेदनशील वातावरर् तनममति
करना चाहहए।
·    सजृ
नात्मकता के अभ्यास के मलए ववद्यार्थी से साल में कम से कम दो रचनाएुँ मलखवाई
जाएुँ।
श्रवण तथा वाचन परीक्षा ेतु हदिा ननदेि
श्रवण (सनु
ना) : वखर्ति
या पहठत सामग्री को सनु
कर अर्थग्रि
हर् करना, वातािलाप करना, वाद-
वववाद, भाषर्, कववतापाठ आहद को सनु
को समझना।
कर समझना, मल्ू
याांकन करना और अमभव्यजतत के ढांग
वाचन (बोलना) : भाषर्, सस्वर कववता-पाठ, वातािलाप और उसकी औपचाररकता, कायक्रम-
प्रस्ततु त, कर्था-कहानी अर्थवा घिना सनु
ाना, पररचय देना, भावानकु
ूल सवां
ाद-वाचन।
हिप्पण : वातािलाप की दक्षताओां का मल्ू
याकां
न तनरांतरता के आधार पर परीक्षा के समय ही
होगा। तनधािररत 10 अकों में से 5 श्रवर् (सनु
ना) कौशल के मल्ू
याांकन के मलए और 5  वाचन
(बोलना) कौशल के मल्ू
याांकन के मलए होंगे।
श्रवण (सनु
ना) कौिल का मलू
यािंकन :
·   परीक्षक ककसी प्रासचां गक ववषय पर एक  अनच्ु
िे द का स्पटि वाचन करेगा। अनच्ु
िे द
तथ्यात्मक या सझु
या
ावात्मक हो सकता है। अनच्ु
िे द लगभग 250 शब्दों का होना चाहहए।
परीक्षक 2-3 ममनि का श्रव्य अशां
(ऑडियो जतलप) सनु
वाएगा। अशां
रोचक होना चाहहए ।
कथ्य/घिना पर्ू
ि एवां स्पटि होनी चाहहए। वाचक का उच्चारर् शद्ु
ध, स्पटि एवां ववराम
चचह्नों के उचचत प्रयोग सहहत होना चाहहए।
·    अध्यापक को सनु
हल कर सकें गे।
त-े सनु
ते परीक्षार्थी अलग कागज़ पर हदए हुए श्रवर् बोध के अभ्यासों को
·  अभ्यास ररततस्र्थान-पतू त,ि
सकते हैं।
बहुववकल्पी अर्थवा सत्य/असत्य का चुनाव आहद ववधाओां में  हो
·  अतत लघत्ू तरात्मक 5 प्रश्न पिू
ेजाएुँगे।                                  (1×5 =5)
मौखिक अशिव्यच्तत (बोलना) का मलू
यािंकन :
·    चचत्रों के  क्रम पर आधाररत वर्न : इस भाग में अपेक्षा की जाएगी कक ववद्यार्थी
वववरर्ात्मक भाषा का प्रयोग करें।
·  ककसी चचत्र का वर्नि
: चचत्र व्यजतत या स्र्थान के हो सकते हैं।
·   ककसी तनधािररत ववषय पर बोलना : जजससे ववद्यार्थी अपने व्यजततगत  अनभु
प्रत्यास्मरर् कर सकें ।
व का
·    कोई कहानी सनु
ाना या ककसी घिना का वर्नि
करना।
·    पररचय देना।                                                             2
अकां
(स् /  पररवार/  वातावरर्/  वस्त/ु
व्यजतत/ पयािवरर्/ कवव /लेखक आहद)
·   कु ल तीन प्रश्न पिू
ेजा सकते हैं।                                          1×3=3
हिप्पण :
1. परीक्षर् से पवू
ि परीक्षार्थी को तयै
ारी के मलए कु ि समय हदया जाए।
2. वववरर्ात्मक भाषा में वतमान काल का प्रयोग अपेक्षक्षत है।
3. तनधािररत ववषय परीक्षार्थी के अनभु
व-जगत के हों। जैसे – कोई चुिकु ला या हास्य प्रसगां I
4. हाल में पढ़ी पस्ु
तक या देखे हुए चलचचत्र (मसनेमा) की कहानी सनु
ाना।
5. जब परीक्षार्थी बोलना आरांभ करे तो परीक्षक कम से कम हस्तक्षेप करें।
कौिलों के अतिं
रण का मलू
यािंकन
(इस बात का तनश्चय करना कक तया ववद्यार्थी में श्रवर् और वाचन की तनम्नमलखखत योग्यताएुँ हैं।)
श्रवण (सनु ना) वाचन (बोलना)
1 पररचचत सदभों में प्रयतु त शब्दों और पदों को 1 के वल अलग-अलग शब्दों और पदों के प्रयोग
समझने की सामान्य योग्यता है ककां तु वह की योग्यता प्रदमशति  करता है ककां तु एक
ससु बां द्ध आशय को नहीां समझ पाता। ससु बां द्ध स्तर पर नहीां बोल सकता।
2 िोिे ससु बां द् ध कर्थनों को पररचचत सदभों में 2 पररचचत सदभों में के वल िोिे ससु बां द्ध कर्थनों
समझने की योग्यता है। का सीममत शद्ु धता से प्रयोग करता है।
3 पररचचत या अपररचचत दोनों सदभों में कचर्थत 3 अपेक्षाकृ त दीघि भाषर् में अचधक जहिल
सचू ना को स्पटि समझने की योग्यता है। कर्थनों के प्रयोग की योग्यता प्रदमशति करता
है, अभी भी कु ि अशद्ु चधयाुँ करता है, जजससे
प्रेषर् में रकावि आती है।
4 दीघि कर्थनों की शखांृ ला को पयािप्त शद्ु धता 4 अपररचचत जस्र्थततयों में ववचारों को ताककि क
से समझने के ढांग और तनटकषि तनकाल ढांग से सगहठत कर धारा-प्रवाह ऱप में प्रस्ततु
सकने की योग्यता है। करता है। ऐसी गलततयाुँ करता है जजनसे
प्रेषर् में रकावि नहीां आती।
5 जहिल कर्थनों के ववचार-बबदां ओु ां को समझने 5 उद् देश्य और श्रोता के मलए उपयतु त शलै ी को
की योग्यता प्रदमशति करने की क्षमता है। वह अपना सकता है, ऐसा करते समय वह के वल
उद् देश्य  के अनकु ू ल  सनु ने  की  कु शलता मामलू ी गलततयाुँ करता है।
प्रदमशति करता है।
पररयोजना कायय                            – कु ल अकिं   10
व्यजततगत ऱप से हदया जाएगा        – 5 अकां
1. ववषयवस्तु                       – 1 अकां
2. शब्द सीमा (1000 शब्द)           – 1 अकां
3. भाषा शली                       – 1 अकां
4. ववषय से सबां
चां धत चचत्र तर्था आुँकडे  – 1 अकां
5. प्रस्ततु
ीकरर्                    – 1 अकां
·    पररयोजना कायि के आधार पर मौखखकी – 5 अकां
कक्षा – बारहवीां में बाह्य परीक्षक द्वारा मौखखकी ली जाएगी।
·   पररयोजना कायि हहदी भाषा और साहहत्य से सबां
द्ां
ध हो।
ह दी (ऐच्छिक) (कोड स.िं
002)
कक्षा – 11व िं (2018-19)
ििंड ववषय अकिं
(क) अपहित अििं 16
1 अपहठत गद्याांश –    – बोध (गद्याांश पर आधाररत बोध,  प्रयोग,   रचनाांतरर्,
शीषकि   आहद  पर  लघत्ू तरात्मक  प्रश्न  (2×4     लघत्ू तरात्मक   प्रश्न+1×3 अततलघत्ू तरात्मक प्रश्न)
11
2 अपहठत काव्याांश पर आधाररत पाुँच लघत्ू तरात्मक प्रश्न) (1×5) 05
(ख) कायायलय ह दी और रचनात्मक लेिन 20
3 ककसी एक ववषय पर तनबधां (ववकल्प सहहत) 8
4 कायािलयी पत्र (ववकल्प सहहत) 5
5 जनसचार माध्यम और पत्रकाररता के ववववध आयामों पर चार लघत्ू तरात्मक प्रश्न (1×4) 4
6 व्यावहाररक लेखन (प्रततवेदन, कायसि चू ी, कायवि त्ृ त इत्याहद) पर एक प्रश्न (3×1) 3
(ग) पाठ्यपस्ु तकें 44
(1) अतरा िाग – 1 32
(अ) काव्य िाग 16
7 एक काव्याांश की सप्रसगां व्याख्या (ववकल्प सहहत) 06
8 कववता के कथ्य पर तीन में से दो प्रश्न (2×2) 04
9 कववताओां के काव्य सौंदयि पर तीन में से दो प्रश्  (3×2) 06
(ब) गद्य िाग 16
10 एक गद्याांश की सप्रसगां व्याख्या (ववकल्प सहहत) 05
11 पाठों की ववषयवस्तु पर दो प्रश्  (3×2) (तीन में से दो प्रश्न) 06
12 ककसी एक लेखक/ कवव का साहहजत्यक पररचय 05
(2) अतराल िाग – 1 12
13 पाठों की ववषयवस्तु पर आधाररत एक प्रश्न (ववकल्प सहहत) 4×1 04
14 ववषयवस्तु पर आधाररत दो तनबधां ात्मक प्रश्न 4×2 (ववकल्प सहहत) 08
(घ) (क) श्रवर् तर्था वाचन 10
(ख) पररयोजना 10
कु ल 100
नोि : तनम्नमलखखत पाठों से प्रश्न नहीां पिू
ेजाएांगIे
अतरा (भाग – 1) ·    नए की जन्म कांु िली
प्रस्ताववत पस्ु
तकें :
1.    अतरा, िाग – 1, एन.सी.ई.आर.िी. द्वारा प्रकामशतI
2.    अतराल, िाग – 1, एन.सी.ई.आर.िी. द्वारा प्रकामशतI
3.   ‘अशिव्यच्तत और माध्यम’, एन.सी.ई.आर.िी. द्वारा प्रकामशत (खांि – ख कामकाजी हहदी
और रचनात्मक लखे
न हेत)ु I
ह दी (ऐच्छिक) (कोड स.िं
002)
कक्षा – 12व िं (2018-19)
ििंड ववषय अकिं
(क) अपहित अििं 16
1 अपहठत गद्याांश पर आधाररत बोध, प्रयोग, रचनाांतरर्, शीषकि  आहद पर लघत्ू तरात्मक प्रश् उपयतु त शीषकि (1×1) + लघु प्रश् (2x 5) 11
2 अपहठत काव्याांश पर आधाररत पॉच लघत्ू तरात्मक प्रश्न (1×5) 05
(ख) कायायलय ह दी और रचनात्मक लेिन 20
3 ककसी एक ववषय पर तनबधां (ववकल्प सहहत) 08
4 कायािलयी पत्र (ववकल्प सहहत) 5×1 05
5 जनसचार माध्यम और पत्रकाररता के ववववध आयामों पर चार  अतत लघत्ू तरात्मक प्रश् (1×4) 04
6 रचनात्मक लेखन पर एक प्रश्न (3 x1) (ववकल्प सहहत) 03
(ग) पाठ्यपस्ु तक 44
(1) अतरा िाग – 2 32
(अ) काव्य िाग 16
7 दो काव्याांशों में से ककसी एक काव्याांश की सप्रसगां व्याख्या 06
8 कववता के कथ्य पर दो प्रश्न (2×2) (तीन में से दो प्रश्न) 04
9 कववताओां के काव्य सौन्दयि पर दो प्रश्न (3×2) (तीन में से दो) 06
(ब) गद्य िाग 16
10 दो गद्याांशों में से ककसी एक गद्याांश की सप्रसगां व्याख्या ववकल्प सहहत 05
11 पाठों की ववषयवस्तु पर दो प्रश्न (तीन में से दो) (3×2) 06
12 एक लेखक/एक कवव का साहहजत्यक पररचय (5×1) 05
(2) अतराल िाग – 2 12
12 पाठों की ववषयवस्तु पर आधाररत एक प्रश्न ववकल्प सहहत (4×1) 04
13 ववषयवस्तु पर आधाररत दो तनबधां ात्मक प्रश्न (4×2) (तीन में से दो) 08
(घ) (क) श्रवर् एवां वाचन 10
(ख) पररयोजना 10
कु ल 100
नोि : तनम्नमलखखत पाठों से प्रश्न नहीां पिू
ेजाएांगIे
अतरा (भाग – 2) ·    अज्ञेय (यह दीप अके ला, मनैं े देखा एक बदूां )
·   के शवदास (कववत्त /सवयै ा)
प्रस्ताववत पस्ु
तकें :
1.    अतरा, िाग – 2, एन.सी.ई.आर.िी. द्वारा प्रकामशतI
2.   अतराल, िाग – 2, (ववववध ववधाओां का सकलन), एन.सी.ई.आर.िी. द्वारा प्रकामशतI
3.   ‘अशिव्यच्तत और माध्यम’, एन.सी.ई.आर.िी. द्वारा प्रकामशत (खांि – ख कामकाजी हहदी और रचनात्मक लेखन हेत)ु I
ननर्ायररत समयावधर् : 3 घििं
ेअधर्कतम अकिं
: 100
क्र. स.िं प्रश्नों का प्रारूप दक्षता  परीक्षण/  अधर्गम पररणाम 1
अकिं
2
अकिं
3
अकिं
4
अकिं
5
अकिं
6
अकिं
8
अकिं
कु ल योग
1 अपहित बोर् अवधारर्ात्मक  बोध,  अर्थग्रि हर्, 8 4 16
(पिन कौिल) अनुमान लगाना, ववश्लेषर् करना,
शब्दज्ञान  व  भावषक  प्रयोग,
सजृ नात्मकता, मौमलकताI
2 कायायलय  ह दी सांके त बबदां ओु ां का ववस्तार, अपने 4 1 1 1 20
और रचनात्मक मत का अमभव्यजतत, सोदाहरर्
लेिन  (लेिन समझना, औचचत्य तनधािरर्, भाषा
कौिल) में  प्रवाहमयता,  सिीक  शैली,
उचचत   प्राऱप   का   प्रयोग,
अमभव्यजतत  की  मौमलकता,
सजृ नात्मकता एवां ताककि कताI
3 पाठ्य पस्ु तकें प्रत्यास्मरर्, ववषयवस्तु का बोध एवां        व्याख्या,      अर्थिग्रहर् (भावग्रहर्) लेखक के  मनोभावों  को     समझना    शब्दों    का प्रसांगानुकू ल    अर्थि समझना, आलोचनात्मक चचतां न, ताककि कता, सराहना,  साहहजत्यक परांपराओां के पररप्रेक्ष्य में मूल्याांकन, ववश्लेषर्, सजृ नात्मकता,   कल्पनाशीलता, काय-ि कारर् सांबांध स्र्थावपत करना, साम्यता एवां अांतरों की  पहचान, अमभव्यजतत में  मौमलकता एवां जीवन मूल्यों की पहचान। 2 4 3 2 1 44
4 (क) श्रवर् तर्था वाचन 10
(ख) पररयोजना 10
कु ल 1×12
=  12
2×6
=  12
3×5
=  15
4×3
=  12
5×3
=  15
6×1
=  6
8×1
=  8
100
ननर्ायररत समयावधर् : 3 घििं
ेअधर्कतम अकिं
: 100
क्र. स.िं प्रश्नों का प्रारूप दक्षता  परीक्षण/  अधर्गम पररणाम 1
अकिं
2
अकिं
3
अकिं
4
अकिं
5
अकिं
6
अकिं
8
अकिं
कु ल योग
1 अपहित बोर् अवधारर्ात्मक  बोध,  अर्थग्रि हर्, 6 5 16
(पिन कौिल) अनुमान लगाना, ववश्लेषर् करना,
शब्दज्ञान  व  भावषक  प्रयोग,
सजृ नात्मकता, मौमलकता I
2 कायायलय  ह दी सांके त बबदां ओु ां का ववस्तार, अपने 4 1 1 1 20
और रचनात्मक मत का अमभव्यजतत, सोदाहरर्
लेिन  (लेिन समझना, औचचत्य तनधािरर्, भाषा
कौिल) में  प्रवाहमयता,  सिीक  शैली,
उचचत   प्राऱप   का   प्रयोग,
अमभव्यजतत  की  मौमलकता,
सजृ नात्मकता एवां ताककि कताI
3 पाठ्य पस्ु तकें प्रत्यास्मरर्, ववषयवस्तु का बोध एवां        व्याख्या,      अर्थिग्रहर् (भावग्रहर्) लेखक के  मनोभावों  को     समझना    शब्दों    का प्रसांगानुकू ल    अर्थि समझना, आलोचनात्मक चचतां न, ताककि कता, सराहना,  साहहजत्यक परांपराओां के पररप्रेक्ष्य में मूल्याांकन, ववश्लेषर्, सजृ नात्मकता,   कल्पनाशीलता, काय-ि कारर् सांबांध स्र्थावपत करना, साम्यता एवां अांतरों की  पहचान, अमभव्यजतत में  मौमलकता एवां जीवन मूल्यों की पहचान। 2 4 3 2 1 44
4 (क) श्रवर् तर्था वाचन 10
(ख) पररयोजना 10
कु ल 1×10
=  10
2×7
=  14
3×5
=  15
4×3
=  12
5×3
=  15
6×1
=  6
8×1
=  8
100

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