Betul District of Madhya Pradesh at a Glance

Lok Sabha Constituencies in Betul district, Madhya Pradesh (MP Constituencies) Betul
MLA Assembly Constituencies in Betul district, Madhya Pradesh Amla
Betul
Bhainsdehi
Ghodadongri
Multai

District at a Glance


General
  • District – 
  • Headquarters – 
  • State – 
Area in Sq Km (Census 2011)
  • Total – 
  • Rural – 
  • Urban – 
Population (Census 2011)
  • Population – 
  • Rural – 
  • Urban – 
  • Male – 
  • Female – 
  • Sex Ratio (Females per 1000 males) – 
  • Density (Total, Persons per sq km) – 
Constituencies (ECI)
  • Assembly – 
  • Loksabha – 

District profile

वर्तमान परिवेश में :-
जिले का क्षेत्रफल 1991 की जनगणना के अनुसार 10043 वर्ग किमी. है। संपूर्ण जिला 5 तहसील, 5 टप्पा तहसील एवं 10 विकासखंडो में विभाजित है जिसमें 7 आदिवासी विकास खंड एवं 3 सामुदायिक विकासखंड प्रशासनिक नियंत्रण की दृष्टि से 1236 राजस्व ग्राम एवं 78 वीरान ग्राम है। जिला मंडल 262 पटवारी हल्के और 16 आरक्षी केन्द्र है।
जनांकीकिय स्वरूप :-
स्वतंत्रता के पश्चात् जनसंख्या में व्यापक परिवर्तन हुये। सन् 1961-71 में वृद्धि दर 31.3 प्रतिशत थी, 1971-81 में कम होकर 25.69 प्रतिशत हो गई। वही 1981-91 में बढ़कर 26.67 प्रतिशत हो गई तथा वर्ष 1991-2001 में घटकर 18.02 प्रतिशत हो गई। अनुसूचित जाति जनजाति की जनसंख्या 1981 में 36.19 प्रतिशत रही, वही 1991 में 37.51 प्रतिशत हो गई। विभिन्न दशकों में जन संख्या के घनत्व में वृद्धि हुई है। 1861 में प्रतिवर्ग किमी. पर 56 व्यक्ति थे, वही 1991 में बढकर 118 व्यक्ति एवं 2001 में बढकर 139 हो गए। किसी भी समाज में पुरूषों एवं महिलाओं का अनुपात उस समाज में महिलाओं की प्रभावशीलता को स्पष्ट करता है। सन् 1991 में प्रति हजार पुरूषों के पीछे महिलाएं थी, वहीं 2001 में घटकर 965 रह गई। सन्1965 से 1995 तक जन्म एवं मृत्यु दर में व्यापक परिर्वतन हुए। जन्मदर सन् 1965 में 38.64 प्रतिहजार थी, वहीं सन् 1991 में घटकर 22.45 रह गई। इसी प्रकार मृत्यु दर सन् 1965 में जंहा 14.66 प्रति हजार थी, वही सन् 1995 में घटकर 6.96 हो गई। मृत्यु दर में कमी का कारण चिकित्सा सुविधा, शिक्षा का प्रसार एवं यातायात के साधनों का विकास रहा। वहीं जन्म दर में कमी का कारण सामाजिक, सांस्कुतिक एवं कृषि अर्थव्यवस्था रहें।
अंतः संरचना :-
उर्जा विकास का महत्वपूर्ण साधन है। प्रमुख स्त्रोत विद्युत है जो मानव जीवन के लिए अत्यंत आवश्यरक है। बैतूल जिले के सारणी में स्थापित सतपुडा ताप विद्युत गृह का 50 प्रतिशत खपत प्रदेश में होता है। उत्पादन हो रहा है, जिसमें उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है। जिले के 1320 ग्राम विद्युतिकरण है एवं 34666 कनेक्शन सिंचाई हेतु मोटर पंप एवं नलकुप को प्रदान किये गये है।सिंचाई का प्रमुख स्त्रोत कुंआ है, उसके पश्चामत नहर है। सिंचाई एवं उत्पादन के क्षेत्र में उत्तरोत्तर वृद्धि परलिक्षित होती है। परिवहन एवं संचार के विकास में महत्वपूर्ण योगदान है। जिले में 20 रेल्वे स्टेशन, 218 डाकघर जिसमें 1 प्रधान डाकघर एवं 3 उपडाकघर है। 19 ऐसे डाकघर है जो तारघर कार्य कार्य करते है। दूरभाष में कोई उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है। एक आकाशवाणी केन्द्र एवं दूरदर्शन प्रक्षेपण केन्द्र है। स्वास्थय सेवाओं में काई वृद्धि नही हुई है।आज सुदूर ग्रामों तक स्वास्थय सेवाएं प्रदान की जाती है। शैक्षणिक संस्थाओं की संख्या में कम वृद्धि हुई है। शासकीय संस्थाओं की तुलना में निजी संस्थाएं कुकरमुत्तों के समान फैल गयी है। जिले में कोई भी सार्वजनिक उपक्रम नही है। राष्ट्रीय महतव के 2 संस्थान ताप विद्युत गृह सारणी एवं वेस्टर्न कोल फील्ड पाथाखेडा में स्थापित है।मध्यम उद्योगों के अन्तर्गत एम.पी.विनीयर एंड प्लायवुड कोसमी, वियरवेल टायर फेक्ट्री पंखा, बैतूल टायर्स एंड ट्यूब्स सांपना/मध्यावर्त एक्स. आईल इंडस्ट्रियल, कोसमी एवं आदिष्वर आईल एंड फ्लोर मिल मुलताई में स्थापित है। उद्योग केन्द्र के माध्यम से 211 लघु कुटीर उघोग में रूपये 131.15 लाख का निवेश हुआ एवं एन.ए. व्यक्ति रोजगार में लगे।उपरोक्त बैतूल जिला एक परिचय विभिन्न परिवेश में सटीक चित्रण प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। ताकि आप जिले की जानकारी से अवगत हो सके।

 

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