Khargone District of Madhya Pradesh at a Glance

About Khargone District :

Khargone district, formerly known as West Nimar district, is a district of Madhya Pradesh state in central India. The district lies in Nimar region, and is part of Indore Division. Khargone town is the headquarters of this district.

The district has a long history. In ancient period, the Haihayas of Mahishmati (present-day Maheshwar) ruled this region. In early medieval age, the area was under the Paramaras of Malwa and the Ahirs of Asirgarh. In late medieval age, the area was under Malwa Sultanate of Mandu. In 1531, Gujarat sultan Bahadur Shah brought this area under his control. In 1562, Akbar annexed this territory along with the whole Malwa to Mughal empire. In 1740 Marathas under the Peshwa brought the area under their control. In 1778, Peshwa distributed this territory to the Maratha rulers, Holkars of Indore, Sindhias of Gwalior and Ponwars of Dhar. After the independence and merger of the Princely states with Union of India in 1948, this territory became West Nimar district of Madhya Bharat. Khargone district had been part of the Nerbudda (Narmada) Division of the Central Provinces and Berar, which became the state of Madhya Bharat (later Madhya Pradesh) after India’s independence in 1947.[1] On 1 November 1956 this district became part of the newly formed state of Madhya Pradesh. On 25 May 1998 West Nimar district was bifurcated into two districts: Khargone and Barwani.

District at a Glance :

  • District – 
  • Headquarters – 
  • State
Area in Sq Km (Census 2011)
  • Total – 
  • Rural – 
  • Urban – 
Population (Census 2011)
  • Population – 
  • Rural – 
  • Urban – 
  • Male – 
  • Female – 
  • Sex Ratio (Females per 1000 males) – 
  • Density (Total, Persons per sq km) – 
Constituencies (ECI)
  • Assembly
  • Loksabha

Tourist Places :

खरगौन – जिला मुख्यालय – कुंदा नदी के तट पर बसा यह शहर अत्यंत प्राचीन नवग्रह मन्दिर के लिये प्रसिद्ध है। यह शहर इंदौर (रेल्वे / हवाई अड्डा) से 150 कि.मी., बड़वानी से 90 कि.मी. (यदि आप गुजरात से आ रहे हैं – राज्य महामार्ग 26), सेंधवा से 70 कि.मी. (यदि आप महाराष्ट्र से आ रहे हैं – आगरा मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग क्रं. 3), धामनोद से 65 कि.मी. (यदि आप इंदौर से आ रहे हैं – आगरा मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग क्रं. 3), धार से 130 कि.मी., खण्डवा से 90 कि.मी., बुरहानपुर से 130 कि.मी. तथा भुसावल से 150 कि.मी. दूरी पर है। यह शहर कपास एवं जिनिंग कारखानों का एक प्रमुख केन्द्र है।  

  • महेश्वर – यह शहर हैहयवंशी राजा सहस्रार्जुन, जिसने रावण को पराजित किया था, की राजधानी रहा है। ऋषि जमदग्नि को प्रताड़ित करने के कारण उनके पुत्र भगवान परषुराम ने सहस्रार्जुन का वध किया था। कालांतर में महान देवी अहिल्याबाई होल्कर की भी राजधानी रहा है। नर्मदा नदी के किनारे बसा यह शहर अपने बहुत ही सुंदर व भव्य घाट तथा महेश्वरी साड़ियों के लिये प्रसिद्ध है। घाट पर अत्यंत कलात्मक मंदिर हैं जिनमे से राजराजेश्वर मंदिर प्रमुख है। आदिगुरु शंकराचार्य तथा पंडित मण्डन मिश्र का प्रसिद्ध शास्त्रार्थ यहीं हुआ था। यह जिले की एक तहसील का मुख्यालय भी है। प्रसिध्द पर्यटन स्थल है। खरगौन से 60 कि.मी.।

  • मण्डलेश्वर – महेश्वर से 10 कि.मी. दूर यह शहर भी नर्मदा के किनारे ही बसा है। नर्मदा पर जल-विद्युत परियोजना व बांध का निर्माण हुआ है। यहां से समीप ही चोली नामक स्थान पर अत्यंत प्राचीन शिव-मंदिर है जहां पर बहुत भव्य शिव-लिंग स्थित है। खरगौन से 50 कि.मी.।

  • ऊन – यह स्थान खरगौन से 18 कि.मी. दूरी पर है। परमार-कालीन शिव-मंदिर तथा जैन मंदिरों के लिये यह स्थान प्रसिद्ध है। एक बहुत प्राचीन महालक्ष्मी-नारायण मंदिर भी यहां स्थित है। खजुराहो के अतिरिक्त केवल यहीं परमार-कालीन प्रचीन मंदिर हैं।

  • बकावां एवं रावेरखेड़ी – महान पेशवा बाजीराव की समाधी रावेरखेड़ी में स्थित है। उत्तर भारत के लिए एक अभियान के समय उनकी मृत्यु यहीं नर्मदा किनारे हो गई थी। बकावां में नर्मदा के पत्थरों को तराश कर शिव-लिंग बनाए जाते हैं।

  • देजला-देवड़ा – कुंदा नदी पर एक बड़ा बांध है जिससे लगभग 8000 हेक्टेयर में सिंचाई होती है।

  • सिरवेल महादेव – खरगौन से 55 कि.मी. दूर इस स्थान के बारे मे मान्यता है कि रावण ने महादेव शिव को अपने दसों सर यहीं अर्पण किये थे। इसीलिये यह नाम पड़ा है। यह स्थान महाराष्ट्र की सीमा से बहुत ही पास है। महाशिवरात्रि पर म.प्र. एवं महाराष्ट्र से अनेक श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं।

  • नन्हेश्वर – खरगौन से 20 कि.मी. दूर यह स्थान भी प्रचीन शिव-मंदिर के लिये प्रसिद्ध है। खरगौन से सिरवेल महादेव जाते समय यह स्थान रास्ते में है।

  • बड़वाह व सनावद – ये जुड़वां शहर नर्मदा के दोनो ओर बसे हैं। उत्तर की ओर बड़वाह तथा दक्षिण की ओर सनावद है। ऊँकारेश्वर ज्योतिर्लिंग जाने के लिये यहां से ही जाना पड़ता है। पुनासा में इंदिरा सागर जल-विद्युत परियोजना जाने क लिये भी सनावद के पास है। बड़वाह से मण्डलेश्वर, महेश्वर तथा धामनोद जाया जा सकता है। विश्वप्रसिद्ध लाल मिर्ची की मण्डी बैड़िया, सनावद के पास है।

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